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Jo bole so hari katha

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  ओशो सत्‍संग/ OSHO SATSANG जोगी तु क्यों आया मेरे द्वारा। तेरी आंखों में नहीं दिखता सपनों का अब वो संसार। जोगी तु क्यों आया मेरे द्वार.......... Mansa रविवार, 30 अप्रैल 2017 जो बोले सो हरि कथा-(प्रश्नोत्तर)-प्रवचन-07 जो बोले सो हरि कथा-(प्रश्नोत्तर)-ओशो प्रवचन - सातवां-( धर्म और सदगुरु) श्री रजनीश आश्रम ,  पूना ,  प्रातः ,  दिनांक २७ जुलाई ,  १९८० पहला प्रश्न: भगवान ,  गुरु पूर्णिमा के इस पुनीत अवसर पर हम सभी शिष्यों के अत्यंत प्रेम व अहोभावपूर्वक दंडवत प्रमाण स्वीकार करें। साथ ही गुरु-प्रार्थना के निम्नलिखित श्लोक में गुरु को ब्रह्मा ,  विष्णु , महेश तीनों का रूप बताया है ,  परंतु इसके आगे उसे साक्षात परब्रह्म भी कहा है! कृपा करके गुरु के इन विविध रूपों को हमें समझाने की अनुकंपा करें। श्लोक है: गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः। गुरुः साक्षात परब्रह्म तस्मै श्री गुरुवे नमः।। सत्य वेदांत! यह सूत्र अपूर्व है। थोड़े से शब्दों में इतने राजों को एक साथ रख देने की कला सदियों-सदियों में निखरती है। यह सूत्र किसी एक व्यक्ति ने निर्माण किया हो ,  ऐसा नहीं। अनंत काल में न मालूम कित