Yog Aasan

(Pranayam- Balancing of 5 Prana - ((a.) PRANA; (b.) APAN; (c.) SAMAN; (d.) VYAN; and (e.) UDAN)
महाबंध के फायदे
तनाव को दूर करे-
आजकल बच्चे से लेकर बड़े हर किसी में किसी कारण तनाव की स्थिति बनी रहती है। जिसके चलते कई बीमारियाँ भी हो जाती है। इसलिए तनाव को दूर करना आवश्यक होता है।
महाबंध को नियमित करने से तनाव को दूर करने में मदद मिलती है। जिसके कारण मन भी शांत हो जाता है। अर्थात इससे चिंता, परेशानी और क्रोध दूर हो जाते हैं।
साथ ही यह अवसाद को दूर करने में भी मदद करता है।
दिमाग को तेज बनाये
इस आधुनिक युग में आगे बढ़ने के लिए दिमाग को तेज करने की आवश्यकता होती है तभी आप कदम से कदम बढ़ा कर आगे चल सकते है।
दिमाग को तेज करने के लिए उचित आहार लेना तो ज़रुरी होता है साथ ही योग भी आपके दिमाग को स्वस्थ्य रखता है।
महाबंध आसन को रोज करने से बुद्धि भी तेज हो जाती है।
पेट के लिए लाभकारी
अनियमित जीवन शैली और गलत खानपान के कारण आये दिन लोगो को पेट की समस्याएं बनी रहती है। लोग दवाओं का सेवन करने के बाद भी पेट की समस्या को दूर नहीं कर पाते है।
योग के द्वारा आप पेट की समस्याओं को हमेशा के लिए दूर कर सकते है।
महाबंध आसन को नियमित रूप से करने पर जठराग्नि में वृद्धि होती है। जिससे पाचन शक्ति को मज़बूती मिलती है।
जिसके कारण पेट से संबंधित रोगों को दूर करने में सहायता मिलती है।
मांसपेशियों और तंत्रिकाओं के लिए लाभकारी
जैसे जैसे उम्र बढ़ती है शरीर की मांसपेशिया कमजोर हो जाती है।
मांसपेशियों को मजबूत बनाने के लिए योग आपकी मदद कर सकता है इसके लिए महाबंध आसन करना उत्तम होता है।
यह पूरे शरीर के स्वास्थ्य के लिए फ़ायदेमंद होता है, विशेष रूप से तंत्रिका तंत्र, आंतरिक अंगों, मांसपेशियों और तंत्रिकाओं के लिए।
सकारात्मकता को बढ़ाये
जिन लोगो में नकारात्मकता होती है और उनमें आत्मविश्वास की कमी होती है।
उसे महाबंध आसन का अभ्यास करना चाहिए। यह व्यक्ति में सकारात्मकता को बढ़ाता है। इसलिए इसका नियमित अभ्यास करना अच्छा होता है।
तीनों बंधों के लाभ
महाबंध को करने से तीनों बंधों के लाभ प्राप्त हो जाते हैं। इसके द्वारा एक साधक योगी बन सकता है।
महा बंधन सभी तीन मूल बंधों - मूल बंध, उदियाना बंध और जलंधरा बंध के संयुक्त लाभ देता है।
यह तीन चक्र - मुलधारा चक्र, मणिपुरका चक्र और विशुद्ध चक्र भी सक्रिय करता है।
मन को शांत करे
मन यदि शांत नहीं होता है तो हर समय बेचैनी बनी रहती है। किसी भी काम में पूरी तरह से मन नहीं लग पाता है।
ऐसा होने पर एकाग्रता की कमी होने लगती है जो की हमारे लिए हानिकारक होती है।
आप चीजों को भूलने लगते है। महाबंध आसन को करने से मन शांत रहता है और याददाश्त भी कमजोर नहीं होती है इसलिए आप इसका रोज अभ्यास कर सकते है।
प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाये
यदि शरीर में प्रतिरोधक क्षमता की कमी होती है तो शरीर कई रोगों की चपेट में आ सकता है।
एक स्वस्थ्य भोजन के जरिये प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाया जा सकता है साथ ही यदि आप नियमित रूप से महाबंध आसन का अभ्यास करते है तो इससे भी आपकी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
अन्य लाभ
यह पाइनल ग्रंथियों (pineal glands ) को सक्रिय करता है और साथ हीं पूरे अंतःस्रावी ग्रंथियों को नियंत्रित करता है।
यह प्राण शक्ति जागृत करता है जो जागरूकता के स्तर को बढ़ा देता है।
यह आसन आंतरिक अंगों को मजबूत करता है, मूल शक्ति को बढ़ावा देता है और शरीर को सक्रिय करता है।
यह संतुलन की भावना को भी बढ़ावा देता है।


अर्ध मत्स्येन्द्रासन
#अर्ध मत्स्येन्द्रासन :- एब्स को मजबूत बनाने में
#शरीर को लचीला बनाने में
#आंतरिक अंगों को साफ रखने में
#पाचन सुधारने में
#थकान दूर करने में
#अंगों को उत्तेजित करने में :- इस आसन का अभ्यास करने से किडनी, लिवर, हृदय और प्लीहा(spleen) उत्तेजित होते हैं और अपना कार्य सुचारू रूप से एवं सही तरीके से करते हैं। इससे शरीर में तमाम तरह के रोगों से सुरक्षा होती है क्योंकि ये सभी अंग शरीर की महत्वपूर्ण क्रियाओं को करने वाले अंग होते हैं।
#शरीर की गर्मी दूर करने में
#भूख बढ़ाने में


Naadi shodhan pranayam

-इस प्रणायाम से हमारे शरीर के 72000 नाडियाँ शुद्ध होती है और रोगप्रतिरोधक् क्षमता बढ़ती है
शरीर को एनर्जी प्रदान करने में,
तंत्रिका तंत्र मजबूत बनाने में
शरीर के तापमान को नियंत्रित करने में
खून को शुद्ध करने में



मयूर आसन
#मयूर आसन : - पाचन को स्वस्थ रखे, इसके अलावा मयूर आसन करने से पेट क्षेत्र में रक्तपरिसंचरण को बढ़ावा मिलता है। जिससे पेट और इसके अंदरूनी तंत्र को मजबूत करने में शरीर को मदद मिलती है। यदि आपका पाचन तंत्र कमजोर है तो आप इसे मयूरासन की सहायता से मजबूत कर सकते हैं।
मधुमेह को रोके :- जिन लोगों को मधुमेह की समस्यसा होती है, उनके लिए मयूरासन किसी उपचार से कम नहीं है। ऐसा माना जाता है कि नियमित रूप से मयूरासन करने पर यह शरीर में रक्तशर्करा के स्तर को नियंत्रित कर सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि मयूरासन करने के दौरान हमारा शरीर अतिरिक्त ऊर्जा को खर्च करता है। जिसके परिणामस्वरूप शरीर में मौजूद वसा और रक्त ग्लूकोज का उपयोग किया जाता है। इस प्रकार शरीर अतिरिक्त ऊर्जा उत्पादन के लिए शरीर में मौजूद अतिरिक्त शर्करा का उपभोग करता है। जिससे रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। इसके अलावा मयूरासन के फायदे बवासीर के लक्षणों को भी कम करने के लिए जाने जाते हैं।
हड्डियों को मजबूत करे :- आप अपनी हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए मयूरासन के लाभ प्राप्त कर सकते हैं। ऐसा माना जाता है कि मयूरासन करने से कंधे, कोहिनी, कलाई और रीढ़ की हड्डी को मजबूत करने में मदद मिलती है। यदि आप भी अपनी हड्डियों को मजबूत करना चाहते हैं नियमित रूप से मयूरासन को नियमित व्यायाम के रूप में शामिल कर सकते हैं।
शरीर के आंतरिक अंगों को सक्रिय करे :-नियमित रूप से मयूरासन करने पर यह आपके शरीर को बाहरी रूप से तो स्वस्थ्य रखता है। इसके अलावा यह आपके आंतरिक अंगों को भी सक्रिय और उत्तेजित कर सकता है। नियमित रूप से मयूरासन करने पर यह आपके पैनक्रिया, पेट, यकृत, प्लीहा, गुर्दों और आंतों को सक्रिय करता है। जिससे आपका शरीर स्वसथ्य और मजबूत बन सकता है।



शिर्षासन



महा मुद्रा :- यह मुद्रा महान सिद्धियों की कुँजी है। यह प्राण-अपान के सम्मिलित रूप को सुषुम्ना में प्रवाहित कर सुप्त कुंडलिनी जाग्रत करती है। इससे रक्त शुद्ध होता है। यदि समुचित आहार के साथ इसका अभ्यास किया जाय तो यह सुनबहरी जैसे असाध्य रोगों को भी ठीक कर सकती है। बवासीर, कब्ज, अम्लता और शरीर की अन्य दुष्कर व्याधियाँ इस के अभ्यास से दूर की जा सकती हैं। इसके अभ्यास से पाचन क्रिया तीव्र होती है तथा तंत्रिकातंत्र स्वस्थ और संतुलित बनता है।




 गोमुखासन अस्थमा के लिए: यह फेफड़ों के लिए एक बहुत ही मुफीद योगाभ्यास है और श्वसन से सम्बंधित रोगों में सहायता करता है। यह छाती को पुष्ट बनाता है और फेफड़ों की सफाई करते हुए इसकी क्षमता को बढ़ाता है। इसलिए अस्थमा से पीड़ित रोगियों को नियमित रूप से इस आसन का अभ्यास करना चाहिए।

गोमुखासन बाहों की मजबूती के लिए: अगर आपको पीठ एवं बांहों की पेशियां को मजबूत बनाना हो तो इस आसन का अभ्यास जरूर करें।
कूल्हे (Hips) के स्वस्थ के लिए: अगर आप hips के दर्द से परेशान हैं तो इस आसन का अभ्यास करें।
गोमुखासन रीढ़ की हड्डी के लिए: यह रीढ़ को सीधा रखने के साथ साथ इसको मजबूत भी बनाता है।
गोमुखासन बवासीर (Hemorrhoids) को रोकने में: यह बवासीर के लिए बहुत ही उपयोगी योगाभ्यास माना जाता है।
गोमुखासन सर्वाइकल स्पॉेण्डिलाइटिस के लिए: इस आसन के अभ्यास से आप बहुत सारी परेशानियों से छुटकारा पा सकते हैं जैसे कंधा जकड़न, गर्दन में दर्द, तथा सर्वाइकल स्पॉेण्डिलाइटिस।
गोमुखासन सेक्सुअल प्रोब्लेम्स के लिए: लैंगिक परेशानियों को दूर करने में यह आसन बहुत ही कारगर है। यह स्त्री रोगों के लिए भी बहुत लाभदायक है।
कमर दर्द में: इसके नियमित अभ्यास से आप कमर दर्द के परेशानियों से राहत पा सकते हैं।
गोमुखासन यकृत एवं गुर्दे के लिए: यह आपके यकृत एवं गुर्दे को स्वस्थ रखने में अहम भूमिका निभाता है।
शरीर को लचकदार बनाने में: यह आसन करने से शरीर सुड़ोल एवं लचकदार बनता हैं।
गोमुखासन मधुमेह के लिए: यह आपके पैंक्रियास को उत्तेजित करता है और मधुमेह के कण्ट्रोल में सहायक है।

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